*मैं भी एक मजदूर हूं*
हंसता नहीं पर हंसाता जरूर हूं,
ख़ुद भूखे रहकर खिलाता जरूर हूं,
पढ़ा नहीं पर बच्चो को पढ़ाता जरूर हूं,
पीठ छिल जाती है बोझ उठाता जरूर हूं,
मरने की हालत हो पर कमाता जरूर हूं,
ख़ुद की लकीरें मिटा भाग्य बनाता जरूर हूं,
पैसे बिन मर जाऊं पर बचाता जरूर हूं,
मन दुखी हो पर खुशियां दिखाता जरूर हूं,
राष्ट्र सेवा में तन मन लगाता जरूर हूं,
फिर भी गर्व है, मैं भी एक मजदूर हूं।।
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)