ये धरती है उन वीरों की
इस मिट्टी में मिला खून आखिर किसका है कहो जरा,
इस धरती की रक्षा करते करते बोलो कौन मरा,
जो प्राणों की आहुति देकर अपना कर्म नहीं भूले,
भारत मां की लाज बचाने को वो तख्तों पे झूले,
ये धरती है उन वीरों की जो शीश कृपाण पे रखते थे,
ये धरती है उन वीरों की जो जान म्यान मे रखते थे,
ये धरती है उस अर्जुन की जिसने लहू समंदर बना दिया,
ये धरती है उस पोरस कि जिसने स्वयं सिकंदर भगा दिया,
ये धरती है उस भरत की जिसने शेरों संग खेल दिखाया है,
ये धरती है उस राम की जिसने पिता का फ़र्ज़ निभाया है,
ये धरती है उस श्याम की जिसने गिरी गोवर्धन उठा लिया,
ये धरती है उस परशुराम की जिसने धरती हिला दिया,
ये धरती है उस पृथ्वीराज की जिसके दोनों आंख नहीं,
फिर भी घोरी को काल दिखाया शब्द भेदी विद्या से ही,
ये धरती है उस महाराणा की जिससे अकबर कांपा था,
रण में महाराणा जब आते देख के अकबर भागा था,
ये धरती है उस छत्रपति की जिसने स्वराज बनाया था,
अफजल और दुष्ट मुगलों को धरा से दूर भगाया था,
ये धरती है आजद की और ये धरती भगत सिंह की है,
अब उत्तर शायद मिला होगा ये धरती आखिर किनकी है।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"