ये है मेरी भारत भूमि (कविता) - ye hai meri bharat bhumi (poem)
(आजादी संग्राम दृश्य)
वीर रक्त से रंगी हुई,
मस्तक श्रृंगार से सजी हुई,
बेड़ी मे बंधी हुई धरती,
है माटी चीख पुकार रही,
ये है मेरी भारत भूमि।।
व्यापारी बन के काल आए,
घर में घुस षडयंत्र बनाए,
हम समझ ना सके लोमरियों को,
ये भूल हमारी ही थी कहीं,
ये है मेरी भारत भूमि।।
है जकड़ लिया इन कीड़ों ने,
भारत मां को जंजीरों में,
अब किसी लाल को आगे बढ़ के,
देनी होगी कुर्बानी,
ये है मेरी भारत भूमि।।
अब रक्त बहाने ही होंगे,
कुछ शीश गिराने ही होंगे,
स्वाधीन यदि बनना है,
तो चिता सजानी ही होगी,
ये है मेरी भारत भूमि।।
- आदित्य कुमार
"बाल कवि"