धरती के बेटे

चीखी रही है धरती,
मत उठाओ मेरी अर्थी,
अपने संतानों से डरती।
हूं मैं कैसी मां,
जिनके बेटे ही उसके काल हुए,
मां के अंग अंग को बेच के बेटे माला माल हुए।
पेड़ दिए हैं, नदी दिए हैं,
मैंने तुमको दिया है प्राण,
ना जाने फिर भी तेरे दिल में,
क्यों ये मां हो गई अनजान,
किया जो पाप है हमने मां संग,
एक दिन हम ही भुगतेंगे,
अब वो दिन है दूर नहीं जब,
जल और वायु बिन तड़पेंगे 😔

             - आदित्य कुमार
                 (बाल कवि)

Popular Posts