बदली सबकी नीति

गजब का कलयुग आ है गया,
कैसी दुनियादारी?
बेटा खाली थाली चाते,
बाप कमाए दिहाड़ी।

जिस मां ने पाला पोषा,
वो मां हुई बलाए,
कैसी ये दुनिया है भैया?
कोई मुझे समझाए।

अपनी बीवी अपने बच्चे,
हो गए प्राण से प्यारे,
जिस आंचल में बचपन बीता,
वो हो गई पराए,

ये दुनिया अब बदल गई है,
अब ना है वो रीति,
हर एक मानव बदल गया है,
बदली सबकी नीति।

         - आदित्य कुमार
              (बाल कवि)

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