मन की चाह
चलो कुछ नया करे,
या तो लड़े या तो मरे,
पर हां यदि मर जाए तो,
मर के भी हम तेरे रहे,
हम चांद है तू चांदनी,
हम राग है तू रागिनी,
तुझ से जिए तुझ से मरे,
ये बात है सौभाग्य की।
तुझ से हमारी सांस है,
तुझ पे हमारी आस है,
हां हां वतन प्यारे वतन,
तू दिल के सबसे पास है,
हम परिंदे है अमन के,
हम तो जीते है वतन से,
तेरे खातिर मर मिटे,
बस आस है इतनी सी मन में,
तेरे मिट्टी में रंगे,
हम खून अपना ऐ वतन,
चाहता है बस ये मन,
तू ही मिले सातों जन्म।।
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)