शांति या क्रान्ति
वीर बांकुरे चले है,
आज रण मे आर पार,
आंख तीसरी खुली है,
लिए वीरभद्र अवतार।
रक्त ये उबल रहे है,
वक्त वो निकल रहा है,
अब कहो इस क्रांति का,
शांति से हल कहां है?
कस लिया कमर सभी ने,
आन बान शान को,
आज सर गिरे गिराए,
अर्पित हो हिंदुस्तान को,
आज चूहों को बताए,
शेर की दहाड़ क्या है,
आज उनको ये सिखाए,
दुश्मनी व प्यार क्या है।
हमने मित्र समझा जिनको,
वो हमे ललकार गए,
तिरंगे की शान खातिर,
हम भी उनको फाड़ गए।
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)
(प्रस्तुत कविता भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के आधार पर लिखा गया है)