कैप्टन मनोज पाण्डेय

तुम राष्ट्र पे मिट गए मगर,
अब भी जीवित हृदय में हो,
हे अमर वीर कारगिल योद्धा,
तुम काल के आशय में हो,

हा काल हो तुम उनके खातिर,
जिन्होंने देश को जख्म दिया,
बस उनकी मृत्यु बनकर,
कैप्टन मनोज ने जन्म लिया,

इस देश के खातिर मिट गए वो,
पर माटी की धड़कन में है,
हे क्रान्तिवीर ये आग तुम्हारा,
भारत के जन जन में है,

वो आग जो पीछे ना हटता,
चाहे वो भले ही मिट जाए,
आज ये भारत सच्चे दिल से,
कैप्टन मनोज पाण्डेय चाहे।

               - आदित्य कुमार
                    (बाल कवि)

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