उसी हिंदुस्तान खातिर

ये दृश्य है संग्राम का,
आजाद हिन्दुस्तान का,
और बोल क्रांतिकारियों के,
सत्तावन कि चिंगारियों की,

बन्दूक की गोली को खाने,
लोहे के सीने चले,
मां भारती के शान को,
वो वीर विष पीने चले।

माथे पे बांधा है कफ़न,
है प्राण देने की लगन,
लहु से किए श्रृंगार वो,
है काल के अवतार वो,

मन में बसा एक सपना जो,
आजाद भारत अपना हो,
अब हो जरूरत जो यदि तो,
मौत की ही ये सदी हो,

हम यदि मिट जाए तो,
धरती आजादी पाए तो,
सार्थक जन्म हो जाएगा,
कोई तो आजादी पाएगा,

अपने लिए ना ही सही,
उनको खुशी मिले कहीं,
बस उसी मुस्कान खातिर हमको मिटना ही पड़े,
उसी हिंदुस्तान खातिर हम जिये चाहे मरे।

                   - आदित्य कुमार
                        (बाल कवि)

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