सनातन- आरंभ और अंजाम
आरंभ है सनातन और अंत है सनातन,
हूं मैं सनातनी मेरा गर्व है सनातन,
आपस में भाईचारे कि सीख है जो देता,
वो धर्म है सनातन! वो धर्म है सनातन।
है शांति के कायल जो धर्म है सनातन,
बस इसलिए है घायल जो धर्म है सनातन,
ऋषि मुनि वेदों का ये धर्म है सनातन,
है देवों का जो चायल वो धर्म है सनातन।
है ज्ञान भी सनातन अभिमान भी सनातन,
रावण भी है सनातन और राम भी सनातन,
है कंश भी सनातन और श्याम भी सनातन,
आरंभ भी सनातन अंजाम भी सनातन!
है ब्रांड भी सनातन ब्रह्मांड भी सनातान।।
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)