गर्म खून

है गर्म खून राही तेरा गर्मी ना इसकी जाने दे,
मंजिल के लिए इस गर्मी को कुछ और अधिक गरमाने दे।

ना भटक राह से चलता चल हर कदम सफलता के खातिर,
ना छोड़ इसे बढ़ने दे और हर लगन सफलता के खातिर,
करना है तुझे बढ़ना है तुझे पांव मंजिल को पाने दे,
मंजिल के लिए इस गर्मी को कुछ और अधिक गरमाने दे,
है गर्म खून...........

मत राह ताक कोई आकर के कांटो से पार लगाएगा,
मत राह ताक कोई आकर के विघ्नों से तुझे बचाएगा,
तू खुद बढ़ आगे ओ राही कांटो मे राह बनाने है,
मंजिल के लिए इस गर्मी को कुछ और अधिक गरमाने दे,
है गर्म खून............

तू कोहिनूर हैं बस तुझको अपनी कुछ चमक बढ़ानी है,
इतिहास बनाना है तुझको तेरी कुछ अलग कहानी है,
मत हो निराश होठों को सदा दिल खोल के तू मुस्काने दे,
मंजिल के लिए इस गर्मी को कुछ और अधिक गरमाने दे,
है गर्म खून............

मन को स्थिर कर एक लक्ष्य को पाने को बढ़ना होगा,
चाहे हो राह में कोई विघ्न होकर सस्कत लड़ना होगा,
तेरे भीतर है कुछ खास लगन सामर्थ्य उसे दिखलाने दे,
मंजिल के लिए इस गर्मी को कुछ और अधिक गरमाने दे,
है गर्म खून............

                   - आदित्य कुमार
                        (बाल कवि)



 

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