गांधी- सही या ग़लत?
बहुत सहा और बहुत सुना आवाज विरोध में गांधी के,
वो पुण्य देवता थे साहब! ना तुम सा कोई पापी थे,
तुमने प्रश्न उठाया हरदम भारत के बंटवारे पे,
पर शायद तुम भूल गए गांधी ही हमे सांवरे है,
अरे! जब दो बेटे बन जाते है एक दूजे के ही दुश्मन,
तब जाकर एक पिता से पूछो कैसा हो जाता है मन,
मजबूरी मे बंटवारे का लिया फैसला गांधी ने,
उस पल क्या दिल पर बीती होगी पूछो जाकर गांधी से,
गोली उन्हे मारने वाला क्रान्तिवीर बन अमर हुआ,
पूछो जड़ा था किस बिल मे वो जब आजादी का समर हुआ,
उसने तो बस जातिवाद से नाम कमाना चाहा था,
और वो बस उन वीरों की सूची में समाना चाहा था,
वरना वो कैसा वीर कहो जो शस्त्र उठाए बुजुर्गों पे,
जब वक्त था शस्त्र चलाने का यारी कर बैठा मुर्दों से,
जब इतना ही था खून गर्म अंग्रेज़ों से भी लड़ जाता,
जो गोली मारी गांधी को यदि अंग्रेज़ो पे चला पाता,
आज यदि दिल में बन जाता मंदिर किसी गोडसे का,
वो दिल भी बस अपराधी है ना है वो कोई भी इंसा!
मैं उनकी भी पूजा करता जिनका अलग तरीका था,
मंजिल तो आजादी ही थी भले ही अलग सलीका था।
मगर गोडसे क्या मकसद लेकर गांधी को मारा था,
दमन हुआ क्रांति का तब क्यों आया नीच अभागा था,
हत्या करने वाला जिसका मकसद भी कोई नेक नहीं,
ए भारतवासी तू भी उसके आगे माथा टेक नहीं!
यदि अगर अब प्रश्न हो करना गांधी जी के कामों पे,
कुछ पल गांधी बस बन जाना तब मेरी बातें मानोगे।
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु तीन अमर सदा नाम रहे,
मगर महात्मा गांधी जी का भी ये हिंदुस्तान रहे!
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)