नारी का सम्मान - मणिपुर कांड

जिस भारत में नारी खातिर,
महाभारत छिड़ जाता था,
नारी के सम्मान के खातिर,
लंका ढह कर गिर जाता था!

आज उसी भारत में नारी,
मात्र खिलौना बन गई है,
जाने नारी की इज्जत,
अब कैसे बौना बन गई है,

अब बस रावण आए है,
पर राम का कोई पता नहीं,
दुशासन ने जन्म लिया,
पर श्याम का कोई पता नहीं,

जाने कब कानून जगेगा,
कब इंसाफ मिलेगा जी,
या फिर से कोई सत्ताधारी,
उनको माफ करेगा जी,

आंख पे पट्टी बांधा कानून,
आखिर मौन पड़ा है क्यों,
ना जाने इंसाफ कहां है,
आखिर गौन पड़ा है क्यों,

सत्ताधारी रोज़ प्रतिदिन,
जब तक खेद दिखाते,
तब तक ना जाने,
कितने ही इज्जत लूटे जाते है!

ना जाने कितने ही द्रौपदी को,
अब ये सहना होगा,
जाने कितने ही सीता को,
लंका में रहना होगा!

आस लगाए बैठी है,
कोई राम दुबारा आएगा,
चिर हरण को अंकुश करने,
श्याम दुबारा आएगा,

आवाह्न करके देखो,
श्री राम तुम्हारे भीतर है,
पापी का वध करने खातिर,
श्याम तुम्हारे भीतर है,

ए नारी इज्जत के खातिर,
उनको शमशान दिखा दो तुम,
जगदम्बा हो जगजननी हो,
खुद को थोड़ा पहचानो तुम!

सत्ताधारी लोगों से अब,
न्याय भी मिलना मुश्किल है,
कूटनीति से राजनीति तक ही,
बस इनकी मंजिल है।

         - आदित्य कुमार
              (बाल कवि)









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