गांव का सौदा
गांव का सौदा (कविता)
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तुमने शहर खरीद लिया है,
बेच दिया है गांव,
मगर कहो किससे खरीदोगे,
गांव का वो प्रेम भाव,
खपरैली छत बेच दिया है,
पक्के महल बनाए,
मगर सोचते है हर पल,
वो पहल कहां से लाए,
मित्र दोस्त सब छोड़ दिया,
बस सौदागर अपनाया,
कहो मुसाफिर सहरी,
तुमने क्या बेहतर है पाया?
सुकून का सौदा करके तुमने,
खरीदा चिंता, दुख-दर्द,
प्रकृति की गोदी सूनी कर,
अपनाया है मर्ज,
पीपल का शुद्ध हवा बुरा था,
ए.सी लगा है बेहतर,
नई बीमारी की गठरी को,
लाया है तुमने घर,
जिस गांव में भोर सदा ही,
कोयल संग होते है,
उस कोयल के गीत के आगे,
वाद्ययंत्र छोटे है,
सौदा घाटा का कर डाला,
तुमने शहर खरीदा,
गांव की अमृत को छोड़ा,
तुमने जहर खरीदा!
- आदित्य कुमार
(बाल कवि)