कर प्रयत्न जितना कर सकता

कर प्रयत्न जितना कर सकता,
दिखला दे कितना कर सकता,

हर डर के आगे है जीत,
सदा गवाह है रहा अतीत,
बस तू ही क्यों रोना रोता,
क्या तू बस इतना कर सकता?
कर प्रयत्न जितना कर सकता,
दिखला दे कितना कर सकता।

मंजिल का तू बना परिंदा,
दिखला दे कितना है जिंदा,
क्यों तू बेबस पड़ा आज है,
क्या तू बस इतना कर सकता?
कर प्रयत्न जितना कर सकता,
दिखला दे कितना कर सकता।

आसमान तेरे कदमों में,
देख के जोश उन प्रयत्नों में,
तुझ से बस ये पूछ रहा है-
क्या तू बस इतना कर सकता?
कर प्रयत्न जितना कर सकता,
दिखला दे कितना कर सकता।

            - आदित्य कुमार
                 (बाल कवि)
                



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