सच्चे शिष्य

लाख रास्ते जब हो सामने,
किसको चुनना समझ ना आए,
तब एक मात्र है वो ही जो
सही मार्ग हमें दिखलाते है,
खुद ईश्वर जिनकी पूजा करते,
वो ही गुरु कहाते है।

है लाख तुम्हारे धन दौलत,
पर बिना गुरु सब कुछ है व्यर्थ,
ना तौल सकोगे पैसों पे,
गुरु के केवल एक वाणी को,
गुरु ने ही दिया टाटा बिरला,
है खड़ा किया अंबानी को,

गुरुवर के साथ बिना यारों,
कोई मोल नहीं है जीवन का,
गुरु का जब सिर पे हाथ रहे,
तो चमक जाए तू कंचन सा।

गुरु की आशा बन जाना तुम,
एकलव्य सा फ़र्ज़ निभाना तुम,
अर्जुन सा यदि ना बन पाओ,
पर सच्चे शिष्य कहाना तुम।
 
          - आदित्य कुमार
               (बाल कवि)
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