कृष्ण है तो अनंत है

हे मुरलीधर बंसीबजैया,
केशव, माधव कृष्ण-कन्हैया,
जन्म दिवस की लाख बधाई,
चारों ओर है खुशियां छाई।

अनंत लोक के जन्मदाता ने,
आज के दिन ही लिया अवतार,
विष्णु जी के कृष्ण रूप ने,
किया था द्वापर का उद्धार,

कान्हा रूप अनेकों लेकर,
तुमने लीला लाख रची,
कहीं राम बन धर्म बचाया,
कहीं कृष्ण बन लीला की,

मुरली से दिल सबका जीता,
कहीं चक्र से पाप मिटाया,
राधा जी संग प्रेम रचाया,
कहीं पे गीता ज्ञान सिखाया,

त्रेता में मर्यादा मे था रहना तुमने सिखलाया,
केशव बनकर मर्यादा मे रखना तुमने सिखलाया,
मित्र बनाना सिखलाया और पाप मिटाना सिखलाया,
जब असमंजस मे था पार्थ तब ब्रह्म रूप था दिखलाया,

कहीं तुम्हारी देख के लीला तुम साधारण मनुज लगे,
माखन मिश्री के दीवाने बलदाऊ के अनुज लगे,
पर जब असली शौर्य तुम्हारा पाया था महाभारत से,
तुमने अपनी शक्ति को दिखलाया था महाभारत में,
बिना अस्त्र और शस्त्र के माधव ऐसा प्रलय मचा डाला,
एक इशारे तुमने माधव नियति पलट दिखा डाला,

शत्रु की लाखों सेना, पर पांडव पांच खड़े सम्मुख,
एक तुम्हारे आने मात्र से बदल गया था सारा रुख,
जिसके ऊपर हाथ तुम्हारा जीत उसी की निश्चित है,
साथ अगर जो तुम हो केशव भय ना उसको किंचित है,
तुम ही ब्रह्मा तुम ही विष्णु तुम ही आदि-अंत प्रभु,
ना तुम हो तो कुछ ना है जो तुम हो तो है अनंत प्रभु।

                   - आदित्य कुमार
                        (बाल कवि)









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