गणित की महिमा

कितने तारे, कितने चंदा,
कितना बड़ा है आकाश गंगा,
कितनी दूरी चांद से अपनी,
कितना गर्मी कितना ठंडा,

कितनी धरती की चौड़ाई,
कितनी नदियों की लंबाई,
कितना गहरा कहो समंदर,
कितना बाहर कितना अंदर,

कितना लाभ है कितना घाटा,
कहो संगणक कैसे बताता,
प्रश्न बड़ा मुश्किल हो जाता,
जग में यदि गणित ना आता,

आखिर समय हुआ है कितना,
कहते क्या? था कल अभी जितना?
बिना गणित ना समय भी आता,
ना कोई क्षण-मिनट बताता,

गणित की महिमा अपरंपार,
जाने ये सारा संसार,
है विज्ञान गणित पे निर्भर,
तभी बताता धरती अम्बर,

मानो तो संसार गणित है,
जीवन और संहार गणित है,
इसके बिन जीवन ना मुमकिन,
इस जीवन का सार गणित है,
गणित सूत्र है सुलझा इसको,
देखो कितना आसान गणित है,
गणित की महिमा अपरंपार,
गणित महान, महान गणित है।

               -आदित्य कुमार
                   (बाल कवि)


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