जिंदगी का हिसाब
जिंदगी में कभी किताब का पन्ना नही देखा,
पर सारा किताब समझ गया,
कोई अब भी कैलकुलेटर पकड़े बैठा है,
कोई जिंदगी का हिसाब समझ गया।
कोई अभी भी नींद में है,
और कोई पूरा ख्वाब समझ गया,
किसी ने खुद को नायाब बनाया,
और कोई खुद को ही नायाब समझ गया,
कोई आज भी प्रश्न समझने में लगा है,
और कोई पूरा जवाब समझ गया,
कोई जिंदगी का घाटा गिन रहा है,
कोई जिंदगी का लाभ समझ गया,
कोई आज भी कैलकुलेटर पकड़े बैठा है,
कोई जिंदगी का हिसाब समझ गया।
– आदित्य कुमार
(बाल कवि)