मजदूर के हाथ

कहीं गिट्टी तोड़ते हुए हाथ,
ईंट पत्थर जोड़ते हुए हाथ,
कहीं धूप में जलते हुए हाथ,
सीमेंट से लद बद निकलते हुए हाथ।

बांस पे चढ़ दीवार रंगते हुए हाथ,
कहीं बर्फ फैक्ट्री में जमते हुए हाथ,

वे हाथ जो साल भर देश की मिट्टी जोड़ते है,
वे हाथ जो साल भर पत्थर गिट्टी तोड़ते है,
आज उन हाथों का, उन मजदूरों का दिन है,
ये देश एक बंजर भूमि जिन हाथों के बिन है,

आज उन श्रमिको की आजादी है,
जिनके बनाए घरों में भारत की आबादी है,
आज उन मजदूरों का दिवस है,
जिनसे इस विश्व का जीवन सरस है।

                – आदित्य कुमार
                      (बाल कवि)

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