वो पिता है

वो जिम्मेदार है हमारे जीवन का,
वो जिम्मेदार है इस खुशहाल उपवन का,
उनके हाथों ने कभी गाल लाल किया तो कभी सहलाया है,
कभी उनकी बातों का बुरा लगा तो कभी मन को बहलाया है,

अपने कंधों पर घर की जिम्मेदारियां उठाए,
कहीं खेती करके, किसी सड़क पे पत्थर तोड़ जो संतान का जीवन बनाए,
जब वो व्यक्ति साथ हो तो कोई डर नहीं लगता,
क्युकी हम जानते है उसके रहते हमें कोई छू भी नहीं सकता!

बड़ा अहम किरदार है उसका हमारे जीवन में,
जो आंगन की खुशियां बढ़ाता है बिना रहे आंगन में,
जो समूचे घर का धन सबसे अमूल्य होता है,
वो पिता है, जो परमेश्वर तुल्य होता है।

                        – आदित्य कुमार
                              (बाल कवि)

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