शिव का वर्णन
शिव का वर्णन
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मस्तक की शोभा में चंदा,
सिर पे जटा, जटे में गंगा,
नाग वासुकी ग्रीवा पे बैठे,
व्याघ्र चर्म को प्रभु लपेटे,
राख और रज का श्रृंगार,
कालकूट विष का आहार,
नकारात्मकता के भक्षक,
प्रभु मेरे श्रृष्टि के रक्षक,
जिनका है गिरी पे आवास
धन्य धन्य पर्वत कैलाश
ये उनका छोटा सा वर्णन,
आया है उन प्रभु का सावन,
कभी न आए हम पे अड़चन,
हम सब है भोले को अर्पण।
–आदित्य कुमार
(बाल कवि)