माटी का देन
नमन करूं हे देव तुम्हारा मुझको भारत देश दिया,
इससे ज्यादा इससे बेहतर मुझे और ही चाहिए क्या?
गिरी हिमालय ने निज गोद में हमे पाल कर बड़ा किया,
भारत की माटी ने हमको अपने ऊपर खड़ा किया,
नमन करता हूं गिरिराज के पितृ तुल्य परिपाटी को,
जिसने चलना हमे सिखाया नमन हिंद की माटी को,
वो माटी जिसका चुटकी भर तिलक है हो जाता श्रृंगार,
जिस माटी का कर्जा हम पर जन्मों जन्म तक रहे उधार।
जिस माटी की चमक देखकर चकाचौंध संसार हुआ,
इस माटी पे एक जन्म बस! सातों जन्म साकार हुआ,
और बताऊं इस माटी ने क्या क्या देश को दिया नवाज,
वीर सपूतों का पैदावार है इस माटी का अंदाज,
राणा और शिवाजी जैसा राजा हमे महान दिया,
जिसने देश को शेर के जैसा वीर टीपू सुल्तान दिया,
जिस माटी ने दिया देश को वीर भगत सिंह मतवाला,
सचमें इस माटी का जन्मा लाल है हर हिम्मतवाला।
बाल उम्र में फांसी पे चढ़ने वाला खुदीराम दिया,
जिसने भारत की भूमि को वीर आजाद कलाम दिया,
जिसने दिया चंद्रशेखर आजाद राष्ट्र अनुयाई,
वचन पूर्ति हेतु अंतिम गोली खुद ही खाई,
जिसने शांति दूत बनाकर दिया महात्मा गांधी,
अंग्रेजों को फेंक उखाड़े बोस नाम की आंधी।
जिसने दिया विवेकानंद और जिसने हमें कलाम दिया,
सत सत नमन है इस माटी को जिसने हिंदुस्तान दिया।
– आदित्य कुमार
(बाल कवि)