कर्म का निर्णय

तू जो भी कर रहा है तेरा पाप है या पुण्य है
यही करेगी तय कि तू महान है या शून्य है,

ऊपर का स्वर्ग–नर्क धरती पे है तेरे हाथ में,
करेगा जो भी तू वो जाएगा तेरे ही साथ में,

अच्छा करेगा कर्म, प्रभु गोद में सुलाएंगे,
बुरे करेगा कर्म, गर्म तेल में पकाएंगे,
गरम गरम अयस भी तेरे देह में चुभायेंगे,
वहां के नर–पिशाच बोटियां भी नोच खायेंगे।

सो जो भी चुनना है की या तो स्वर्ग या तो नर्क ही,
तो सोच लेना कर्म के नतीजे का वो फर्क भी,

जो कर्म यदि पाप है तो फल भी तेरा कष्ट है,
और पाप का नतीजा कर्ता का हो जाना नष्ट है,

तो चुन ले होना है उदय या फिर होना अस्त है,
अब तेरा निर्णय है की गर्म तेल या प्रभु का प्रेम मस्त है।

                        – आदित्य कुमार 
                              (बाल कवि)

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