स्वतंत्र से गणतंत्र

 है भारत देश हमारा मिट्टी इसकी चंदन है,
देव रूप में हर एक बालक यहां केसरी नंदन है,

भूतल पे हरियाली न्यारी, नभ में खिली छटाएं प्यारी,
भारत की इस सुंदरता पर मोहित है ये दुनिया सारी,

मजहब–धर्म सभी आपस में मिल जुल कर रहते है ऐसे,
सारी दुनिया अचरच में आखिर संभव है ये कैसे? 

नदी नदी में शौर्य की धारा, बादल यहां पराक्रम बरसे,
वीर सपूत जनम लेते है इस भारत में हर एक अरसे,

वीर अशोक महान की भूमि, पृथ्वी राज चौहान की भूमि,
ये राणा प्रताप की धरती, वीर टीपू सुल्तान की भूमि,

रानी लक्ष्मीबाई की भूमि, वीरांगना झलकारी बाई,
भगत सिंह, आजाद की भूमि जिन्होंने आजादी दिलवाई,

हाथ जोड़ वंदन करते लाखों सेनानी के लच्छों को,
हम श्रद्धांजलि देते गुरु गोविंद सिंह के बच्चों को,

बच्चे?
हां हां बच्चे,
वे बच्चे जो धरा प्रति अपना सिर कटवा बैठे,
वे बच्चे जो झुके नहीं भले अंग अंग बंटवा बैठे,

खुदीराम ने नई अवस्था में जीवन बलिदान किया,
ये कोई बड़े बांकुरे न थे, बच्चों ने ये काम किया!!

और वीरता सुनो यहां के चंद्रशेखर आजाद की,
जिसने अपने प्राण देके, आजादी की सौगात दी,

इस भूमि के हर सपूत ने किया समर्पण कितना,
सब कुछ छोड़ धरा प्रति लड़ गए भले पड़ा उन्हें मिटना,

गांधीजी ने छोड़ वकालत खद्दर–ख़ादी पहना,
नेताजी ने छोड़ आईसीएस वर्दी खाकी पहना,

इन बलिदानों के बदले मिला हमें स्वतंत्र,
और स्वतंत्रता मिली तभी तो मिला हमें गणतंत्र।

                   – आदित्य कुमार 
                         (बाल कवि)

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