सरस्वती मां
है वीणाधारिणी मां मेरी,
हे कलादायिनी मां मेरी,
जीवन में ज्ञान का दे प्रकाश,
जड़ता का कर जड़ से विनाश,
मुझे सदा ज्ञान का पथ दे मां,
बुद्धि का तन को रथ से मां,
अज्ञानता का ये अंधकार,
कब तक रहेगा खुद को पसार,
तू ज्योत जला दे ज्ञान का मां,
हो सर्वनाश अज्ञान का मां,
ये दास तेरा वंदन करता,
सम्मुख तेरे क्रंदन करता,
तेरे वर का मैं इच्छुक हूं,
मां और कुछ नहीं बस केवल,
मैं ज्ञान–विद्या का भिक्षुक हूं।
– आदित्य कुमार
(बाल कवि)