हम भारत हैं

जहां बात शांति की होती 
हम बुद्ध कहलाते है
अगर युद्ध की बात आई 
तो हम अशोक बन जाते है

प्रेम अहिंसा करो अगर तो
हम महात्मा गांधी है
अगर उतर गए लड़ने पे 
तो सुभाष नाम की आंधी है

निश्छल निर्मल प्रेम कहो तो
हम गंगा की पानी है
उग्र हुए तो बन जाते हम 
सागर-ए-हिंद सुनामी है

कश्मीर की बर्फ अगर है हम 
तो बैरन की भी ज्वाला है
जिस दिन मारेंगे तुमको
बोलो कौन बचाने वाला है?

         - आदित्य कुमार 
             (बाल कवि)


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