एक विमान दुर्घटना

कोई अपनों से मिलने जा रहा था,
तो किसी का कोई अपना बुला रहा था,
जीवन का यह आखिरी सफर,
इससे अंजान हर शख्स मुस्कुरा रहा था,

कुछ तो ऐसे भी थे जो शायद पहलीबार 
ऊपर से धरती को देखने वाले थे,
एक गजब सी किलकारी के साथ
उड़ने के लिए उतावले थे

डेढ़ बजे की उड़ान, सपनों के अरमान,
पल भर में सबकुछ खाक हो गया
पति पत्नी, मां बेटी, बाप बेटा,
अपने सपनों के साथ हर शख्स राख हो गया!

                – आदित्य कुमार 
                      (बाल कवि)

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