हादसा या भ्रष्टाचारी

कहने के लिए सिर्फ हादसा है पर सिर्फ हादसा?
हवाई अड्डे के पास अस्पताल कैसे
हॉस्टल कैसे इमारत कैसे हवाई अड्डे के पास आम इंसान कैसे?

खाली सतह होती तो जरूर बच जाते वो मासूम 
तुमने तो सिर्फ कह दिया “विधाता की मर्जी” किसे क्या मालूम
इस हादसे में भ्रष्ट अधिकारियों की गलती है
जिन्होंने रनवे के पास इमारतें बनवाई
आखिर कैसे बने इतने घर ये अस्पताल ये आवासीय 
कोई भी सरकार ये नहीं पूछ पाई

ये ईश्वरीय आपदा नहीं, किसी की भ्रष्टाचारी का नतीजा है
न अधिकारी ने बताया न सरकार ने पूछा 
क्योंकि ये सारे तो यहां चाचा भतीजा है
सबकी मिली भगत है चोर चोर मौसेडे भाई बने बैठे है 
कुछ भी पूछो “जांच चल रही है” का लॉलीपॉप देकर
चुप चाप निकल जाते है
जनता का क्या कुछ दिन लॉलीपॉप खायेंगे
फिर सब भूल जायेंगे 
पर उनका क्या?
जिनके बेमौत मरे बेटे अब कभी लौटकर नहीं आएंगे 

                  – आदित्य कुमार 
                        (बाल कवि)

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