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Showing posts from May, 2023

उसने हमे मानव बनाया।

नोट गुलाबी

मानव- तार वृक्ष

भारत के वे वीर बहादुर

बचो क्रोध से

मानव नहीं मानव रहा

जी हां मैं कविता हूं।

गुटकाछाप

हर प्राणी का भूतल है

चोरों की महिमा (हास्य कविता)

मेरा तिरंगा

धरती के बेटे

*हे कर्म धर्म के सारथी*

ऑटॉकरेक्ट

इसीलिए भारत को स्वर्ग बताते हैं।