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नववर्ष

कवि परिचय-2

शीतलहर

मानव के गुण

कलम-4

सीता स्वयंवर

एक कंजूस सेठ

उलटी दुनिया

शिल्पकार और पत्थर

तेज गधा

सरहद पे मा का लाल

सनातन

शेर और चूहा

मर्जी इश्वर की

कोई लौट रहा है.......🤫

मेरे प्यारे दादाजी.......😔

तू हार मत स्वीकार कर

तीन शेर

कवि परिचय

आखिरी विनती

कण कण का अधिकारी

ओ मुसाफिर

सब कुछ होगा

चल चल रे राही

भीष्म पितामह

सरदार पटेल

कोशिश कर

समय

भाई

पशुओं के दुख

मां

याद रहे हरदम झांसी

मानव हो तुम

हिंद के गद्दार

एक रहो!!

कलम-3

माता कैकई का बलिदान

उस दिन सैनिक कहलाता हूं

मैं भारत का प्रहरी हूं

गिर के उठने से डरते क्यों

मानव है यह क्यों भूल गए

बापू लाठी एक बार उठाते

मानवता बचाओ

दहेज प्रथा

एक झूठी दुनिया

महाबली बाली

सच में बदल गया इंसान

कितने दुख से मिली आजादी थी

मृत्यु के आगे भी पथ है

पग पीछे ना लेना है

बाहर तो आ प्रयास तो कर

अर्जुन की चिंता

मेरे दादाजी के लिए.......